Friday, August 13, 2010

हे पार्थ!
इन्क्रीमेन्ट नही मिला, बुरा हुआ
तन्ख्वाह कट रही है, बुरा हो रहा है,
रिट्रेचमेंट होगा, वो भी बुरा ही होगा….
तुम पिछले रिव्यू ना होने का पश्चाताप ना करो
तुम अगले रिव्यू ना होने की चिन्ता ना करो
रिसेशन चल रहा है……
तुम्हारे पाकेट से क्या गया, जो तुम रोते हो?
तुम कम्पनी के लिये क्या बिजनेस लाये तो तुमने खो दिया?
तुमने ऐसा कौन सा प्रोडक्ट बनाया जो फेल हो गया?
तुम कोई अनुभव लेकर नही आये थे….
जो अनुभव लिया कम्पनी से लिया….
जो प्रोजेक्ट किया कम्पनी के लिये…
डिग्री लेकर आये थे, अनुभव लेकर चले जाओगे
जो फंक्शन आज तुम्हारा है…
वो कल किसी और का था…परसों किसी और का होगा
तुम इसे अपना समझ कर क्यों मगन हो रहे हो
हे पार्थ! यही खुशी तुम्हारी टैंशन का कारण है…
क्यों व्यर्थ टैंशन लेते हो, किस से व्यर्थ डरते हो…
कौन तुम्हे निकाल सकता है?
पालिसी चैन्ज तो कम्पनी का रूल है
जिसे तुम पालिसी चैन्ज कहते हो, वो तो मैनेजमेन्ट की ट्रिक है..
एक पल में तुम इन्क्रीमेन्ट के बारे मे सोचते हो
दूसरे ही पल में तुम स्टाइपेन्ड पर आ जाते है…
रिव्यू,इन्क्रीमेन्ट वगैरहा, सब मन से हटा दो
विचार से मिटा दो, फिर कम्पनी तुम्हारी है, तुम कम्पनी के हो
ना ये इंक्रीमेन्ट वगैरहा तुम्हारे लिये है
ना तुम इसके काबिल हो, परन्तु जौब सिक्योरिटी है, ऐसा सोचो
फिर तुम्हे टैन्शन क्यों?
तुम अपने आप को कम्पनी के लिये अर्पित कर दो.
यही सबसे बड़ा गोल्डन रूल है
जो इस गोल्डन रूल को जानता है
वो रिव्यू,इन्सेन्टिव,रिसेशन,रिट्रेचमेन्ट आदि भ्रमों से सदा सर्वदा मुक्त है
इसलिये हे पार्थ!
चल उठ, काम कर, प्रमोशन की चिन्ता मत कर… .
कर्म ही तेरा भाग्य है

Tuesday, August 10, 2010

Dil Se.........

भरोसा मत करो साँसों की डोरी टूट जाती है
छतें महफ़ूज़ रहती हैं हवेली टूट जाती है

मुहब्बत भी अजब शय है वो जब परदेस में रोये
तो फ़ौरन हाथ की एक-आध चूड़ी टूट जाती है

कहीं कोई कलाई एक चूड़ी को तरसती है
कहीं कंगन के झटके से कलाई टूट जाती है

लड़कपन में किये वादे की क़ीमत कुछ नहीं होती
अँगूठी हाथ में रहती है मँगनी टूट जाती है

किसी दिन प्यास के बारे में उससे पूछिये
जिसकीकुएँ में बाल्टी रहती है रस्सी टूट जाती है
कभी एक गर्म आँसू काट देता है चटानों को
कभी एक मोम के टुकड़े से छैनी टूट जाती है